Gitanjali Multilingual Literary Circle
डॉ. केशव प्रथमवीर
जन्म आगरा (उ.प्र.) में स्थित दिगरौता नामक एक छोटे से गाँव में 24 जनवरी 1937 में । पुणे विद्यापीठ से एम. ए. तथा हिंदी का कुंडलिया छंद और साहित्य पर पीएच. डी की उपाधि ।
कृषि से जीवन का आरंभ, प्रायमरी 1962 में शिक्षक के रूप में अपना शैक्षणिक जीवन आरंभ कर पुणे विद्यापीठ, हिंदी विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष पद से 1999 में सेवानिवृत्ति।
अपने कार्यकाल के दौरान दूर शिक्षण योजना तथा पुणे-विद्यापीठ में हिंदी की पाठ्य-पुस्तकों का लेखन-संपादन।
सन् 2006 से अपने मूल ग्राम में, सेवा निवृत्त अध्यापकों तथा युवकों का, "श्रीरामजी राम बाबा शिक्षा सुधार स्वंसेवक समिति-दिगरौता-आगरा" नाम से संगठन और देहाती बच्चों के शिक्षा सुधार संबंधी विभिन्न उपक्रमों का संयोजन- आयोजन ।
अनेक महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों के चर्चा-सत्रों, कार्यशालाओं,पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों, स्पर्धात्मक आयोजनों आदि में, विषय- विशेषज्ञ, उद्घाटक, अध्यक्ष, प्रपत्र पाठक, परीक्षक आदि के रूप में व्याख्यान एवं उपस्थिति। अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सभा-सम्मेलनों में सहभाग।
तीन वर्षों तक "समग्र दृष्टि" हिंदी मासिक पत्रिका, पुणे का संपादन।
प्रकाशनः
हिंदी की ‘विकास यात्रा- राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा का इतिहास’ नामक एक वृहद एवं ऐतिहासिक ग्रंथ, हिंदी का कुंडलिया छंद और साहित्य, संत साहित्य पर ‘कबीर का मृत्युबोध’ एवं ‘स्वामी समर्थ रामदास’ आदि विभिन्न विषयों पर 10 पुस्तकें प्रकाशित, 6 ग्रंथों का मराठी से हिंदी में अनुवाद, 100 से भी अधिक फुटकल निबंध प्रकाशित।
हिंदी की सेवा के लिये महाराष्ट्र साहित्य अकादमी का ‘जीवन गौरव पुरस्कार’, ब्रज भाषा और मध्यकालीन साहित्य पर असाधारण अधिकार हेतु डॉ. आनंदप्रकाश दीक्षित भारतीय भाषा न्यास का ‘भाषा-भूषण’ पुरस्कार।
महाराष्ट्र हिंदी साहित्य परिषद का अनुवाद पुरस्कार इत्यादि जैसे अनेकानेक महत्वपूर्ण पुरस्कारों से विभूषित।
वर्तमान में पुणे में निवास, लेखन में सतत सक्रिय।