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श्री केशरीनाथ त्रिपाठी 

भारत की राजनीति तथा देश के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में विख्‍यात अधिवक्‍ता, वरिष्‍ठ राजनीतिज्ञ, संवेदनशील कवि, पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्‍यपाल, बिहार, मेघालय, मिजोरम तथा त्रिपुरा प्रदेश के पूर्व अतिरिक्‍त प्रभारी राज्‍यपाल, उत्‍तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री, विधान सभा के तीन बार निर्विरोध निर्वाचित अध्‍यक्ष तथा कुल मिलाकर छ: बार विधान सभा के सदस्‍य रहे तथा उत्‍तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष श्री केशरी नाथ त्रिपाठी के नाम से लोग भली भांति परिचित हैं। जब कभी संसदीय लोकतंत्र की गरिमा, विधान मंडलों की प्रतिष्‍ठा को अक्षुण्‍ण बनाए रखने तथा स्‍वस्‍थ संसदीय परम्‍पराओं की स्‍थापना व निर्वहन करने वाले व्‍यक्तियों की चर्चा होगी तो श्री केशरी नाथ त्रिपाठी अग्रिम पंक्ति के लोगों में एक होंगे।

     श्री त्रिपाठी एक गंभीर तथा ख्‍यातिप्राप्‍त राजनेता हैं। उनके लिए राजनीति पेशा नहीं समाज सेवा का माध्‍यम हैं। उन्‍होंने इस बात पर सदैव बल दिया है कि संसद तथा विधान मंडलों को उनकी उच्‍च स्‍तरीय मर्यादाओं के अनुसार एक गंभीर विचार विमर्श का माध्‍यम बनना चाहिए जहॉं अमर्यादित आचरण और भाषायी अनुशासनहीनता आदि का कोई स्‍थान न हो बल्कि वहॉं से राष्‍ट्र निर्माण, प्रगति और उत्‍थान के संकल्‍प को कार्यान्वित किया जा सके। उनकी मान्‍यता है कि संसदीय लोकतंत्र की सुदृढ़ता और स्‍वस्‍थ संसदीय परम्‍परायें ही भारत के प्रजातांत्रिक स्‍वरूप को सुरक्षित रख सकती हैं।       

राजार्षि श्री पुरूषोत्‍तम दास टण्‍डन के बाद उत्‍तर प्रदेश विधान सभा के अध्‍यक्ष के रूप में श्री केशरी नाथ त्रिपाठी को भावी पीढ़ी निश्चित ही भारत के संविधान तथा विधान सभा के संरक्षक के रूप में स्‍मरण करेगी। स्‍वतंत्रता प्राप्ति के बाद श्री आत्‍माराम गोविन्‍द खेर के अतिरिक्‍त श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ही ऐसे व्‍यक्ति हैं जो उत्‍तर प्रदेश विधान सभा के तीन बार अध्‍यक्ष निर्वाचित हुए। प्रत्‍येक बार उनका निर्विरोध निर्वाचन उनकी सर्वग्राáता का प्रमाण है। यह विशेष रूप से उल्‍लेखनीय है कि श्री केशरी नाथ त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार, बहुजन समाज पार्टी की गठबन्‍धन सरकार तथा समाजवादी पार्टी की सरकार में भी विधानसभा अध्‍यक्ष रहे। यह विभिन्‍न राजनीतिक दलों के द्वारा उनको दिए गए विश्‍वास का प्रतीक है।                                               

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राजनीति में उन्‍हें डा0 श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी, स्‍व0 पं0 दीन दयाल उपाध्‍याय, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्‍ण आडवाणी, स्‍व0 श्रीमती विजयराजे सिन्धिया व राजर्षि पुरूषोत्‍तम दास टण्‍डन ने अभिप्रेरित किया। वह महात्‍मा गांधी की आर्थिक नीतियों के समर्थक हैं। श्री केशरी नाथ त्रिपाठी के अनुसर नैतिकताविहीन राजनीति देश की अनेक राजनैतिक व सामाजिक समस्‍याओं की जड़ है। वह राजनीति तथा नैतिकता के समन्‍वय के प्रबल पक्षधर हैं।

श्री केशरी नाथ त्रिपाठी का जन्‍म इलाहाबाद (अब प्रयागराज) शहर के मोहत्शिमगंज नामक मुहल्‍ले में 10 नवम्‍बर 1934 को हुआ था। (वि|kलय के अभिलेखों एवं हाईस्‍कूल प्रमाण पत्र में किसी कारणवश उनकी जन्‍म तिथि 10 अप्रैल 1935 अंकित हो गई)। उनके पिता स्‍वर्गीय पं. हरिश्‍चन्‍द्र त्रिपाठी उच्‍च न्‍यायालय में कार्यरत थे और कर्तव्‍यनिष्‍ठा तथा ईमानदारी में उनकी विशिष्‍ट छवि थी। तीन भाइयों (स्‍वयं को लेकर) तथा चार बहनों में श्री केशरी नाथ त्रिपाठी सबसे छोटे थे। बड़े भाई पं. काशीनाथ त्रिपाठी जनपद न्‍यायालय में अधिवक्‍ता थे। मझले भाई श्री कैलाशनाथ त्रिपाठी पहले सरकारी नौकरी और तत्‍पश्‍चात निजी प्रतिष्‍ठान में सेवारत थे। माता-पिता एवं दोनो भाइयों प्रदत्‍त नैतिक मूल्‍यों की शिक्षा, परम्‍पराओं से पुष्‍ट पारिवारिक परिवेश, भारतीय संस्‍कृति के प्रति अटूट श्रद्धा, कर्मक्षेत्र में नैतिकता, कर्मनिष्‍ठा आदि ने उनके व्‍यक्तिव को सॅवारा और विकसित किया।

     श्री त्रिपाठी का विवाह फरवरी 1958 में वाराणसी के प्रसिद्ध स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. सत्‍य नारायण मिश्र की पुत्री सुधा से हुआ। श्री त्रिपाठी के एक पुत्र व दो पुत्रियॉं हैं। पत्‍नी श्रीमती सुधा त्रिपाठी का दिनाँक 1 फरवरी 2016 को निधन हो गया। पुत्र श्री नीरज त्रिपाठी इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता हैं। एक पुत्री श्रीमती निधि ओझा नई दिल्‍ली में आर्म्‍ड फोर्सेस हेडक्‍वार्टर्स सर्विस में उच्‍च अधिकारी है। बड़ी पुत्री कु0 नमिता त्रिपाठी प्रयागराज में ही रहती है।

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श्री त्रिपाठी की कक्षा 1 तक प्रारम्भिक शिक्षा सम्‍मेलन मार्ग स्थित दो कमरों में संचालित सेन्‍ट्रल हिन्‍दू स्‍कूल में हुई। व‍ह स्‍कूल दो-तीन वर्षों में ही बन्‍द हो गया। इसके बाद कक्षा 2 से 8 तक की शिक्षा जीरो रोड स्थित सरयूपारीण स्‍कूल से प्राप्‍त की। इस स्‍कूल के छात्र रहते हुए बाल्‍यावस्‍था में ही लगभग वर्ष 1944-45 में नेताजी श्री सुभाषचन्‍द्र बोस के आवाहन पर कि ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्‍हे आजादी दूँगा’ श्री त्रिपाठी ने अपने स्‍कूल के सामने चलने वाले मिडिल स्‍कूल के बरामदे में नेताजी के समर्थकों द्वारा लगाए गए कैम्‍प में अपने बायें हाथ की छंगुलिया ब्‍लेड से काटकर दो बूँद खून भी दिया।

     श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने अग्रवाल इण्‍टर कालेज से वर्ष 1949 में हाईस्‍कूल तथा वर्ष 1951 में इन्‍टरमीडिएट की परीक्षा उत्‍तीर्ण की। उन्‍होंने इलाहाबाद विश्‍व वि|kलय से वर्ष 1953 में स्‍नातक (बी.ए.) तथा वर्ष 1955 में एल-एल.बी. की परीक्षा उत्‍तीर्ण की। तदुपरान्‍त इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री जगदीश स्‍वरूप के यहॉं एक वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्‍त करने एवं पंजीकरण के बाद 31 जुलाई 1956 से इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय में ही अधिवक्‍ता के रूप में वक़ालत करने लगे।

    एक अधिवक्‍ता के रूप में श्री त्रिपाठी अपनी कार्यकुशलता तथा व्‍यवहार से शीघ्र ही लोकप्रिय हो गए। वह वर्ष 1987-88 तथा 1988-89 में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोशिएशन के अध्‍यक्ष निर्वाचित हुए। इसके पूर्व वर्ष 1965 में वह इसके संयुक्‍त सचिव (पुस्‍तकालय) भी रह चुके थे। श्री त्रिपाठी की योग्‍यता, कार्यकुशलता, व्‍यस्‍तता और वरिष्‍ठता आदि को देखते हुए इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने उन्‍हें वर्ष 1989 में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता की मान्‍यता दी।

श्री केशरी नाथ त्रिपाठी की वि|kर्थी जीवन से ही राजनीति में रूचि रही है। वि|kर्थी काल में ही आप ‘डेमोक्रेटिक स्‍टूडेन्‍ट्स यूनियन’ के अध्‍यक्ष रहे एवं अन्‍यान्‍य वि|kर्थी आन्‍दोलनों से सक्रिय रूप से सम्‍बद्ध रहे। आप 1946-47 में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के स्‍वयंसेवक बने। 1951 में भारतीय जनसंघ की स्‍थापना के बाद 1952 से ही उसके कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने लगे। 1953 में डा0 श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी के आवाहन पर भारतीय जनसंघ द्वारा चलाए गए ‘कश्‍मीर आन्‍दोलन’ में भाग लिया और केन्‍द्रीय कारागार, नैनी में राजनीतिक कैदी के रूप में बन्‍द रहे। यहीं से स्‍थानीय एवं प्रादेशिक आन्‍दोलनों में आपकी सक्रिय भागीदारी का क्रम प्रारम्‍भ हुआ। श्री राम जन्‍म भूमि मुक्ति आन्‍दोलन के समय भी शल्‍यचिकित्‍सा के बावजूद आप 23 अक्‍टूबर, 1990 से 10 नवम्‍बर, 1990 तक चिकित्‍सालय में ही बन्‍द रहे। उन्‍होने भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी इलाहाबाद में वार्ड अध्‍यक्ष, मंडल पदाधिकारी, नगर अध्‍यक्ष आदि के स्‍तर तक के दायित्‍व का निर्वहन किया। वह प्रदेश तथा राष्‍ट्रीय कार्य समिति के सदस्‍य भी रहे। 18 जुलाई, 2004 से 2007 तक भारतीय जनता पार्टी उत्‍तर प्रदेश के अध्‍यक्ष रहे।                       

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श्री केशरी नाथ त्रिपाठी 24 जुलाई 2014 से 29 जुलाई 2019 तक पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल रहे। इसके अतिरिक्ति उन्‍होनें दिनांक 27 नवम्‍बर 2014 से 15 अगस्‍त 2015 तथा 22 जून 2017 से 3 अक्‍टूबर 2017 तक बिहार, दिनांक 6 जनवरी 2015 से 19 मई 2015 तक मेघालय, दिनांक 4 अप्रैल 2015 से 25 मई 2015 तक मिजोरम तथा 30 सितम्‍बर 2015 से 31 अक्‍टूबर 2015 तथा 15 जून 2018 से 16 जुलाई 2018 तक त्रिपुरा के भी अतिरिक्‍त प्रभारी के राज्‍यपाल रहे।

श्री त्रिपाठी उत्‍तर प्रदेश विधान सभा के सदस्‍य के रूप में कुल मिलाकर 6 बार निर्वाचित हुए। जनता पार्टी में भारतीय जनसंघ के विलय के पश्‍चात् 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर आप प्रथम बार इलाहाबाद के झूसी विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा श्री राम नरेश यादव मंत्रिमण्‍डल में संस्‍थागत वित्‍त एवं बिक्रीकर मंत्री के रूप में 04.07.1977 से 11.02.1979 तक प्रदेश की सेवा की। अपने मंत्रित्‍वकाल में आपने उत्‍तर प्रदेश बिक्रीकर अधिनियम में कई मौलिक सुधार किये। बिक्रीकर में स्‍वत: कर निर्धारण की व्‍यवस्‍था तथा बिक्रीकर न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना का श्रेय श्री त्रिपाठी  को ही है।

                  

वर्ष 1977 में झूंसी विधानसभा क्षेत्र और उसके बाद वर्ष 1989, 1991, 1993, 1996, तथा 2002 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर इलाहाबाद शहर दक्षिणी विधान सभा क्षेत्र से आप लगातार विधान सभा के सदस्‍य निर्वाचित हुए। यह उस क्षेत्र से लगातार विजय का रिकार्ड है।

 

श्री केशरी नाथ त्रिपाठी प्रथम बार 30.07.1991 को उत्‍तर प्रदेश की ग्‍यारहवीं विधानसभा के सभाध्‍यक्ष चुने गये थे और इस पद पर 15 दिसम्‍बर, 1993 तक रहे। ग्‍यारहवीं विधानसभा अध्‍यक्ष के रूप में श्री त्रिपाठी की कार्य-कुशलता, निष्‍पक्षता एवं व्‍यवहार की सर्वत्र प्रशंसा हुई। विधान सभा के कार्य संचालन में आपके द्वारा दी गई व्‍यवस्‍थाओं ने संसदीय लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया।

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प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के गठन के पश्‍चात अपनी योग्‍यता, कर्मठता, निष्‍पक्षता एवं न्‍यायप्रियता के आधार पर श्री केशरी नाथ त्रिपाठी पुन: 27.03.1997 को दूसरी बार विधानसभा के अध्‍यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए। अपनी सर्वग्राáता, न्‍यायप्रियता तथा लोकतांत्रिक मूल्‍यों में आस्‍था के कारण वह दिनांक 14.05.2002 को तीसरी बार प्रदेश की चौदहवीं विधानसभा के भी अध्‍यक्ष निर्विरोध रूप से निर्वाचित हुए। उन्‍होंने 19.05.2004 को इस पद से त्‍याग पत्र दे दिया।

श्री केशरी नाथ त्रिपाठी को देश की संसदीय समस्‍याओं से सम्‍बन्धित अनेक समितियों में सदस्‍य के रूप में लोकसभा के माननीय अध्‍यक्ष के द्वारा समय-समय पर मनोनीत किया गया। जुलाई 1991 से दिसम्‍बर 1993 तक श्री त्रिपाठी कामनवेल्‍थ पार्लियामेन्‍टरी एसोसिएशन की उत्‍तर प्रदेश शाखा के अध्‍यक्ष रहे तथा मार्च 1997 से 19 मई 2004 तक इस पद पर रहे। उन्‍होंने कामनवेल्‍थ पार्लियामेन्‍टरी एसोसिएशन के अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों में वर्ष 1991 में नई दिल्‍ली, वर्ष 1992 में नसाऊ (बहामाज द्वीप समूह) 1997 में मारीशस, 1998 में न्‍यूज़ीलैण्‍ड, 2000 में इंग्‍लैड तथा स्‍काटलैण्‍ड, 2001 में आस्‍ट्रेलिया, 2002 में नामीबिया, 2003 में बांग्‍लादेश में आयोजित सम्‍मेलनों तथा 1999 में माल्‍टा में सी0पी0ए0 द्वारा आयोजित सेमिनार में सक्रिय रूप से भाग लिया। श्री त्रिपाठी के प्रयास से ही इस एसोसिएशन की उत्‍तर प्रदेश शाखा द्वारा प्रतिवर्ष विदेश में विधायकों के भ्रमण का कार्यक्रम वर्ष 1998 से प्रारम्‍भ हुआ जो कुछ वर्ष पूर्व तक नियमित रूप से चला। श्री त्रिपाठी अब तक इंग्‍लैंड, अमेरिका, थाईलैण्‍ड, सिंगापुर, मारीशस, माल्‍टा, नीदरलैण्‍ड, स्‍काटलैण्‍ड, आयरलैण्‍ड, हॉंगकॉंग, नसाऊ (बहामाज द्वीप समूह), नार्वे, नामीबिया, मलेशिया, सूरीनाम, बांग्‍लादेश आदि कुल लगभग 29 देशों की यात्रा कर चुके हैं। उनका यह मानना है कि विदेश में भारतीय परिवेश की पृष्‍ठभूमि में जो भी अच्‍छी बातें हों उन्‍हें स्‍वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये।

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राजनीति के अतिरिक्‍त श्री केशरी नाथ त्रिपाठी हिन्‍दी साहित्‍य के क्षेत्र में हिन्‍दी के प्रबल समर्थक तथा एक संवेदनशील कवि के रूप में विख्‍यात हैं। उनकी रचनाओं की भारत में ही नहीं वरन् विदेशों में भी सराहना हुई है। श्री त्रिपाठी के प्रकाशित काव्‍य संग्रह हैं- हिन्‍दी में ‘मनोनुकृति’, ‘आयुपंख’, ‘चिरन्‍तन’, ‘उन्‍मुक्‍त’, ‘मौन और शून्‍य’ तथा ‘निर्मल दोहे’, उर्दू में ‘ख्‍यालों का सफर’ तथा ‘जख्‍़मों पर शबाव’ (देवनागरी लिपि में), अंग्रेजी में ‘आई ऐम द लव’ तथा ‘फ्राम नोव्‍हेयर’। ‘मनोनुकृति’ तथा ‘आयुपंख’ का क्रमश: ‘दि इमेजेज़’ तथा ‘विंग्‍स आफ एज’ के नाम से अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है। श्री त्रिपाठी की रचनाओं का अनुवाद बांग्‍ला, कश्‍मीरी, राजस्‍थानी, उडि़या, संस्‍कृत, जापानी आदि भाषाओं में हुआ है। उनकी चयनित रचनाएं भी पुस्‍तक के रूप में अलग-अलग नामों से छपी हैं। उनकी रचनाओं एवं काव्‍य-लेखन पर हिन्‍दी, बांग्‍ला तथा अंग्रेजी भाषाओं में समीक्षा पुस्‍तकें भी प्रकाशित हुई हैं। ‘मनोनुकृति’ का लोकार्पण वर्ष 1999 में भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा ‘आयु-पंख’ तथा ‘चिरन्‍तन’ का लोकार्पण उत्‍तर प्रदेश सरकार के राज्‍यपाल एवं प्रख्‍यात हिन्‍दी साहित्‍यकार महामहिम आचार्य डा0 विष्‍णुकान्‍त शास्‍त्री द्वारा क्रमश: वर्ष 2000 तथा 2003 में किया गया। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय क्षेत्र में भी श्री त्रिपाठी को हिन्‍दी भाषा के प्रचार व प्रसार के लिये काफी सराहा गया है। उन्‍होंने वर्ष 1999 में लन्‍दन, वर्ष 2003 में सूरीनाम, 2018 में मारीशस तथा उसके पूर्व भोपाल विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलनों में सक्रियतापूर्वक भाग लिया। वह अनेक वर्षों तक उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान के कार्यकारी अध्‍यक्ष भी रहे। राजर्षि पुरूषोत्‍तमदास टण्‍डन से प्रेरित श्री केशरी नाथ त्रिपाठी अखिल भारतीय स्‍तर पर हिन्‍दी को राष्‍ट्रभाषा के रूप में स्‍वीकार करने के पक्षधर हैं।

पर्यटन प्रेमी श्री त्रिपाठी अनेक शिक्षण, सांस्‍कृतिक एवं साहित्यिक संस्‍थाओं से सम्‍बद्ध है। श्री त्रिपाठी सिविल, संवैधानिक एवं चुनाव कानून के विशेषज्ञ के रूप में एक ख्‍यातिप्राप्‍त अधिवक्‍ता हैं। उन्‍होंने देश के प्रमुख राजनेताओं की ओर से न्‍यायालयों में बहस की है। आपने जन-प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1951 पर एक व्‍याख्‍यात्‍मक पुस्‍तक ‘दि रिप्रेजेन्‍टेशन ऑफ दि पीपुल एक्‍ट’ की रचना भी की है जो अपने क्षेत्र की बहुप्रशंसित एवं महत्‍वपूर्ण कृति है।

      श्री केशरी नाथ त्रिपाठी को उनकी विद्वता, कार्यकुशलता, निपुणता, रचनाधर्मिता, सामाजिक, शैक्षिक व राजनीति के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट सेवाओं के लिए देश-विदेश में ‘चाणक्‍य’, ‘भारत गौरव’, ‘विकास पुरूष’, ‘उत्‍तर प्रदेश रत्‍न‘ आदि उपाधियों से भी सम्‍मानित किया गया है। साहित्‍य क्षेत्र में भी उन्‍हें ‘विश्‍व भारती सम्‍मान’, ‘आचार्य महावीर प्रसाद सम्‍मान’, ‘अभिषेकश्री सम्‍मान’, ‘काव्‍य-कौस्‍तुभ सम्‍मान’, ‘बागीश्‍वरी सम्‍मान’ आदि अनेक सम्‍मानों से सम्‍मानित किया गया है।

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